इंतज़ार
क्यूँ नही आता वो लम्हा जिसका इंतज़ार है
सदियों से उसके आने कि पुहार है
कब होगा मेरा सामना उससे, कब पूछ पाऊँगी वो अधूरे सवाल
जिन सवालों को वो मोड़ गया था
मेरे ही सवाल मुझही पे छोड़ गया था
उस लम्हे के बाद न आयी मेरे दिल से आवाज़
उन एहसासों को मुझ में दफ्न कर गया था
उस वक़्त से इस वक़्त का इंतज़ार ता उम्र रहेगा
एक उम्मीद में कि वोह लम्हा फिर आएगा
होंगे आमने सामने मौजूद हम
पूछ पाऊँगी क्यूँ दिए थे वो ज़ख्म
क्यूँ खेल तूने यह खेला
मौत भी तू किश्तों में दे चला।
One Response
Verry beautiful shweta.
You aur best shayer. Nece